बिलासपुर/मस्तूरी। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा समुदाय के नाम पर बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। बिलासपुर के मस्तूरी तहसील के कई गांवों में ऐसे लोगों ने फर्जी जाति-प्रमाण पत्र बनवाए हैं, जो वास्तव में बैगा जनजाति से नहीं आते। इन्हीं फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर ओबीसी वर्ग से जुड़े 55 लोग सहायक शिक्षक के पद पर भर्ती भी हो गए। क्षेत्र में 250 नए जाति-प्रमाण पत्र बनाए जाने की भी शिकायतें हैं। 2015-16 के सर्वे में आदिम जाति विभाग ने स्पष्ट किया था कि मस्तूरी क्षेत्र में बैगा समुदाय का निवास ही नहीं है। इसके बावजूद यहां के कई गांवों से बैगा के नाम पर प्रमाण पत्र जारी किए गए। पड़ताल में सामने आया कि जिन व्यक्तियों के प्रमाण पत्र में बैगा लिखा है, उनके पूर्वजों की जाति राजस्व रिकॉर्ड, स्कूल अभिलेख और निर्वाचन आयोग के दस्तावेजों में ‘ढीमर (OBC)’ दर्ज है। कुछ मामलों में पत्नी बैगा और पति ढीमर, तो कहीं पिता ओबीसी ढीमर और पुत्र एसटी बैगा—ऐसी कई विसंगतियों ने पूरे क्षेत्र में जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
• शिकायतें राज्यपाल तक पहुंची
सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति संघ के अध्यक्ष कामू बैगा ने बताया कि मस्तूरी में कुछ लोगों ने OBC होने के बावजूद बैगा समुदाय का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा लिया है।“इन लोगों ने इन्हीं प्रमाणपत्रों से सरकारी नौकरी हासिल की है। हमने कलेक्टर, राज्यपाल, और राष्ट्रपति तक शिकायत भेजी है।” — कामू बैगा
• चार प्रकरणों की जांच में फर्जीवाड़ा साबित
पिछले 25 वर्षों में 926 से अधिक फर्जी जाति-प्रमाण पत्र की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। मस्तूरी क्षेत्र के पोंडी और आसपास के गांवों में चार मामलों की जांच भी पूरी हो चुकी है, जिनमें पाया गया कि प्रमाणपत्र धारक बैगा नहीं थे।
सरकार ने रिपोर्ट के आधार पर इन्हें बर्खास्त किया था, हालांकि संबंधित लोग मामला अब कोर्ट में लड़ रहे हैं।
•विधानसभा में भी हुई पुष्टि—मस्तूरी में बैगा नहीं
विधानसभा में आदिमजाति विभाग के मंत्री ने स्वीकार किया था कि बैगा समुदाय मस्तूरी तहसील के गांवों में निवासरत नहीं है। छत्तीसगढ़ में बैगा समुदाय केवल 6-7 जिलों में पाया जाता है। 2011 की जनगणना में इनकी आबादी 89,744 दर्ज है।
• इन उदाहरणों से समझें कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
सुभाष बैगा: पिता घनश्याम बैगा—पर निर्वाचन आयोग के दस्तावेजों में माता की जाति धीवर, और दादा गिरधारी के रिकॉर्ड में ओबीसी ढीमर दर्ज।रागिनी: प्रमाण पत्र में एसटी, लेकिन पिता लक्ष्मी प्रसाद के राजस्व अभिलेखों में जाति धीवर। अश्वनी और विजय कुमार: बैगा जाति प्रमाणपत्र, जबकि पिता राजकुमार के रिकॉर्ड में ढीमर (OBC)।
•अधिकारियों ने मांगी जांच रिपोर्ट
संभाग आयुक्त सुनील कुमार जैन ने बताया कि शिकायतें मिली हैं और संबंधित विभागों को जांच के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।“जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।” — सुनील कुमार जैन, आयुक्त बिलासपुर संभाग
नागा बैगा जनशक्ति संगठन के अध्यक्ष राम सिंह बैगा ने भी स्पष्ट कहा कि—“इनकी संस्कृति अलग है। ये बैगा नहीं, केवट/ढीमर समाज के हैं। फर्जी प्रमाणपत्र की शिकायतें हमने कलेक्टर व राज्यपाल को दी हैं।” ढीमर समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि भरत मटियारा ने कहा—“1949 से पहले कुछ ढीमर समाज के लोग बैगा लिखते थे। पर उसके बाद के प्रमाणपत्र संदिग्ध हैं और जांच योग्य। यदि किसी को बैगा लिखकर लाभ मिला है, तो सबको मिलना चाहिए।”