आर्थिक नुकसान बढ़ा, मैत्री बाग जू आउटसोर्सिंग की तैयारी में; टिकट रेट बढ़ने की आशंका

आर्थिक नुकसान बढ़ा, मैत्री बाग जू आउटसोर्सिंग की तैयारी में; टिकट रेट बढ़ने की आशंका

दुर्ग-भिलाई।छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित मैत्री बाग जू को निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया जा रहा है। भिलाई स्टील प्लांट (BSP) प्रबंधन ने जू के संचालन के लिए इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) आमंत्रित किए हैं। लगभग 60 वर्ष पुराने इस जू को पहली बार पूरी तरह निजी एजेंसी के हवाले करने की तैयारी है। प्रबंधन का कहना है कि हर साल होने वाला भारी खर्च और लगातार बढ़ता आर्थिक घाटा इस निर्णय की मुख्य वजह है। देशभर में सफेद बाघों के प्रमुख संरक्षण केंद्र के रूप में ख्यात मैत्री बाग अब तक 19 सफेद बाघों का जन्मस्थल रहा है, जिनमें से 13 को विभिन्न राज्यों के जूलॉजिकल पार्कों में भेजा जा चुका है। वर्तमान में यहां 6 सफेद बाघ मौजूद हैं।
सफेद बाघों का प्रमुख संरक्षण केंद्र
मैत्री बाग देश के उन चुनिंदा जू में शामिल है जहां सफेद बाघों की प्रजनन दर उल्लेखनीय रही है। 1990 में नंदन कानन से आए पहले सफेद बाघ जोड़े के बाद यहां लगातार सफल प्रजनन हुआ। राजकोट, कानपुर, बोकारो, इंदौर, रायपुर और मुकुंदपुर के जू को यहां से सफेद बाघ मिले हैं।
इतिहास: गार्डन से जू तक का सफर
मैत्री बाग की नींव 1965 में एक गार्डन के रूप में रखी गई थी। 1972 में इसे आधिकारिक रूप से जू का स्वरूप मिला। शुरुआती वर्षों में यहां सीमित प्रजातियाँ थीं, लेकिन 1976–78 के बीच शेर और बाघ लाए जाने के बाद यह तेजी से विकसित हुआ। आज लगभग 400 प्राणियों का यह घर 140 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसमें बोटिंग, टॉय ट्रेन, म्यूजिकल फाउंटेन सहित कई मनोरंजन गतिविधियाँ शामिल हैं।
हर साल 12 लाख पर्यटक, फिर भी भारी घाटा
मैत्री बाग में प्रतिवर्ष 12 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं, लेकिन आय की तुलना में खर्च कई गुना अधिक है।
खर्च: करीब 4 करोड़ रुपए सालाना
आय: टिकट (20 रुपए) सहित लगभग 1.5 करोड़ रुपए
घाटा: करीब 2.5 करोड़ रुपए प्रति वर्ष
प्रबंधन का कहना है कि घाटे को देखते हुए निजी एजेंसी के माध्यम से आधुनिक सुविधाएं, मेंटेनेंस और आकर्षण बढ़ाए जा सकेंगे।
टिकट दर बढ़ने की आशंका
वर्तमान में पार्किंग, गार्डन और बोटिंग पहले से ठेके पर चल रही हैं, लेकिन अब पूरा जू भी आउटसोर्स होने जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी हाथों में जाने के बाद टिकट दरों में बढ़ोतरी लगभग तय है। वहीं दूसरी ओर जू में नए प्राणियों को लाना, एनक्लोजर का आधुनिकीकरण और आकर्षणों में वृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
आगे क्या?
प्राइवेट मैनेजमेंट के बाद जू में सुविधाओं का विस्तार, जू सफारी जैसी नई परियोजनाओं की शुरुआत और राजस्व बढ़ाने की योजनाओं को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों की चिंता है कि इसके साथ ही मैत्री बाग में घूमने का खर्च भी बढ़ जाएगा।
भिलाई का मैत्री बाग छत्तीसगढ़ की पहचान रहा है। निजीकरण के बाद इसका स्वरूप कितना बदलेगा और पर्यटक अनुभव कैसा होगा, यह आने वाले महीनों में तय होगा।

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