अब स्लीपर क्लास में भी मिलेगी चादर-तकिया : रायपुर रेल मंडल नए साल से शुरू करेगा बेडरोल सुविधा, चेन्नई मॉडल पर तैयारी

अब स्लीपर क्लास में भी मिलेगी चादर-तकिया : रायपुर रेल मंडल नए साल से शुरू करेगा बेडरोल सुविधा, चेन्नई मॉडल पर तैयारी

रायपुर। दक्षिण रेलवे के चेन्नई मंडल की तर्ज पर अब रायपुर रेल मंडल में भी स्लीपर क्लास के यात्रियों को चादर और तकिये की सुविधा मिलने जा रही है। स्लीपर क्लास में पहली बार बेडरोल सर्विस शुरू करने की दिशा में रायपुर मंडल ने काम तेज कर दिया है। इस संबंध में चेन्नई मंडल के अधिकारियों के साथ आइडिएशन और प्लानिंग पर लगातार चर्चा जारी है। सीनियर DCM अवधेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि सभी प्रक्रियाएं ठीक रहीं तो नए साल से रायपुर मंडल की चुनिंदा ट्रेनों में यह सुविधा शुरू की जा सकती है। शुरुआती चरण में इसे कुछ ट्रेनों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। रेलवे जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा करेगा। उन्होंने कहा कि यात्रियों की प्रतिक्रिया यदि सकारात्मक रहती है, तो आगे अधिक ट्रेनों में भी यह व्यवस्था बढ़ाई जाएगी।

चेन्नई डिवीजन में 1 जनवरी 2026 से शुरू होगी सुविधा

इससे पहले दक्षिण रेलवे जोन के चेन्नई मंडल ने स्लीपर क्लास में बेडरोल उपलब्ध कराने की घोषणा की है। 1 जनवरी 2026 से वहां के स्लीपर कोच यात्रियों को साफ-सुथरा, सैनिटाइज्ड चादर और तकिया उपलब्ध कराया जाएगा।
यह पहली बार है जब भारतीय रेलवे एसी क्लास के साथ स्लीपर क्लास को भी बेडरोल सुविधा से जोड़ रहा है। अभी तक यह सुविधा केवल एसी कोच तक सीमित थी, और इसके लिए टिकट कीमत में बेडरोल चार्ज शामिल रहता था।

अब अतिरिक्त शुल्क देकर मिलेंगे बेडरोल

चेन्नई डिवीजन ने शुल्क भी तय कर दिए हैं। संभव है कि रायपुर मंडल में भी यही मॉडल लागू हो:
पूरा सेट (1 चादर + 1 तकिया + 1 कवर): 50 रुपए
सिर्फ चादर: 20 रुपए
सिर्फ तकिया + कवर: 30 रुपए,यात्री कोच अटेंडेंट को भुगतान कर बेडरोल प्राप्त कर सकेंगे। यह सुविधा टिकट में शामिल नहीं होगी।

10 ट्रेनों में पायलट प्रोजेक्ट, सफल होने पर पूरे देश में लागू होने की संभावना

चेन्नई डिवीजन शुरुआती चरण में यह सेवा 10 ट्रेनों में शुरू कर रहा है। यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो रेलवे इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की तैयारी कर सकता है। रायपुर मंडल भी इसी मॉडल को टेस्ट फेज में अपनाएगा। यात्रियों को कम लागत में अधिक सुविधा देने की दिशा में रेलवे की यह पहल बड़े बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है।

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